उदयपुर 10 मई (संवाददाता) राजस्थान के उदयपुर में विद्या भवन गोविन्दराम सेकसरिया शिक्षक महाविद्यालय में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बैंगलुरू के सानिध्य में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हो गया। समापन सत्र में संगोष्ठी के संयोजक प्रफ़ेसर हृदय कांत दीवान ने कहा कि शिक्षकों शिक्षक शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्वयं गम्भीर प्रयास करने होंगे बाहर से सुधार की अपेक्षा प्रभावकारी नहीं होगी उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों की समाज में छवि बनाने के स्वयं प्रयास करने होंगे। अध्यक्ष विध्या भवन मुख्य संचालक अनुराग प्रियदर्शी ने कहा कि शिक्षकों को नीति निर्धरको एवं शिक्षा प्रशासकों के सम्मुख देश समाज हित में शेक्षिक बदलाव हेतु निर्णय लेने के लिए शेक्षिक गोष्ठियों में उभरने वाले सुझवो को तत्काल लागू करने के लिए दबाव बनाना होगा इससे पूर्व हुए विभिन्न सत्रों में दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व प्रो. साधना सक्सेना दो वर्षीय बी.एड. कार्यक्रम के अंतर्गत कहा कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में आदर्शाे के साथ वास्तविक समस्याओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य चिन्तनशील मानव बनाना है। शिक्षक शिक्षा में चिंतन करने और सीखने की जरूरत है। जब तक शिक्षक स्वयं चिन्तनशील नहीं होगा तो कैसे अपेक्षा करें कि वे विद्यार्थियों में विषय की गहरी समझ विकसित कर पाएंगे। उन्होंने राजस्थान में अध्यापक शिक्षा की महत्वपूर्ण गतिविधि इंटर्नशिप पर बात करते हुए कहा कि वास्तविक अनुभवों के आधार पर आने वाली समस्याओं का निराकरण करके इंटर्नशिप कार्यक्रम को और अधिक सार्थक और प्रभावी बनाया जा सकता है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. सुधा चौधरी ने कहा कि हमें शिक्षा के क्षेत्र को उन्नत करना है तो हमें हमारे शिक्षको की समस्याओं का समाधान करना होगा इससे उनमें समर्पण के साथ सृजनात्मकता विकसित हो सकेगी।...////...