दुनियाभर में मशहूर है ..राजे-रजवाड़ों.. का राज्य राजस्थान-बोस
18-Dec-2021 09:05 PM 1234637
बीकानेर, 18 दिसम्बर (AGENCY)। पश्चिम बंगाल पुलिस के डिप्टी एसपी सुजीत कुमार बोस ने कहा कि राजे रजवाड़ों का प्रदेश राजस्थान में राजा-महाराजाओं के रोचक किस्से, यहां की समृद्ध संस्कृति अपने आप में देश में अलग ही पहचान रखती है। राज्य भ्रमण पर आए श्री बोस और उनकी पत्नी इतिहास की सहायक अध्यापिका रुना बोस ने आज यह कहा। यह दम्पत्ति पहली बार राजस्थान आए है और बीकानेर से शुरुआत कर जैसलमेर, डेजर्ट, जोधपुर, माऊंट आबू, उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, अजमेर, पुष्कर जयपुर भी जाएंगे। शनिवार को विशेष बातचीत करते हुए श्री बोस ने कहा कि जब बचपन में पढ़ाई-लिखाई शुरु की या यूं कहें कि समझ पड़ी उस समय सोचा कि कभी राजस्थान जाएंगे और यह सपना लगभग दो दशक से अधिक समय बाद पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के निशान राजस्थान के अतीत में समेटे हुए है। सुना भी है कि यहां सभ्यता और संस्कृति का अविरल प्रवाह जारी है। यह धरती रणबांकुरों की धरती कहलाती है। राज्य की एक सीमा पड़ौसी देश पाकिस्तान के साथ लगती है। बीकानेर जो राज्य के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित है। सुना था कि जयपुर से पहले बीकानेर ही राजे-रजवाड़ों के राज्य राजस्थान की राजधानी था। उन्होंने कहा कि हमने यहां का जूनागढ़ किला, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र एवं देशनोक स्थित विश्वप्रसिद्ध मां करणी का मंदिर देखा है। कदम-कदम पर बड़ी-बड़ी हवेलियां, महल और किले देखने को मिले। साथ ही अन्य विरासत की चीजें अनुपम एवं दर्शनीय है। श्री बोस ने बताया कि जब हम राजस्थान के भ्रमण पर रवाना हो रहे थे तो पश्चिम बंगाल में राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) दफ्तर पहुंचे और वहां कोलकाता प्रभारी हिंगलाजदान रतनू से मिले तो पता चला कि दूर-दूर तक फैले ..रेतीले धोरों के समंदर.. के बीच बसा बीकानेर टूरिस्ट अट्रैक्शन है और पार्टनर के साथ वीकेंड का प्लान बनाएं। महाराजा राव बीका द्वारा बसाए गए शहर बीकानेर का जूनागढ़ किले में मुगल, गुजराती और राजपूतों के स्टाइल का आर्किटैक्चर देखा। पत्थर पर की गयी नक्काशी, यहां की ज्वैलरी, कुंदन, जड़ाऊ भी तारीफेकाबिल है। उन्होंने बताया कि शहर से ही 10 किलोमीटर की दूर पर ही ..रेगिस्तान के जहाज.. ऊंट का राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र स्थित है। जो प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाता है। वहां हमने विभिन्न नस्लों के ऊंट तथा इनकी स्वभावगत आदतों का अनुभव देखा। केंद्र में उष्ट्र सवारी, सफारी, के साथ-साथ उष्ट्र मिल्क पार्लर का विशेष आकर्षण देखा।...////...
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