21-Feb-2022 04:56 PM
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जयपुर, 21 फरवरी (AGENCY) राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि जैविक खेती को किफायती और आम किसान की पहुंच में लाने के लिए कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान किए जाने जरुरत है।
श्री मिश्र स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के दीक्षान्त समारोह में आज यहां राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति को हो रहे नुकसान को देखते हुए लाभकारी गैर-रासायनिक खेती पर कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच को साकार करने के लिए देश के कृषि संसाधनों का समुचित सदुपयोग कर युवाओं को स्वावलम्बी बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती के लिए तैयार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि छोटे किसानों के लिए ‘पॉली हाउस खेती’ की तकनीक फसल उत्पादन बढ़ाने में वरदान साबित हो सकती है। विश्वविद्यालय को इस तकनीक की व्यावहारिकता का परीक्षण कर छोटे किसानों के लिए इसे उपयोगी बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसल भण्डारण की उचित व्यवस्था, भण्डारण के लिए किसानों को मिलने वाली ऋण सुविधाओं और सरकारी की कृषि योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में किसानों को परामर्श उपलब्ध कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को पहल करनी चाहिए। उन्होंने वर्षाजल संरक्षण और परम्परागत जल स्त्रोतों की सार संभाल के लिए आम किसान को जागरूक करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार कई नवाचार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लघु एवं सीमान्त किसानों को कम किराये में कृषि यंत्र एवं उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, तापमान वृद्धि, जल स्तर में आ रही कमी को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालयों को फसलों की ऐसी किस्में विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा जो बदलती परिस्थितियों में भी पर्याप्त उत्पादन दे सकें।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि गत दो वर्षों में कोविड के दौर में भी कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीन प्रतिशत से अधिक रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को संबल मिला है। सकल घरेलू उत्पादन में भी कृषि का योगदान बढ़कर अब 20 प्रतिशत हो गया है, जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जा रहा है, जिसे देखते हुए राजस्थान में भी बाजरा की खेती को प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।...////...