लाड़ली बहना योजना बहनों के सशक्तिकरण की योजना: शिवराज
05-Mar-2023 04:59 PM 1234752
भोपाल, 05 मार्च (संवाददाता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बहनों के सशक्तिकरण की योजना है, इससे बहनों को लाभ मिलेगा। श्री चौहान ने यहां के जंबूरी मैदान में शक्ति स्वरूपा कन्याओं और बहनों का पूजन एवं सम्मान तथा दीप प्रज्ज्वलित कर ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ का शुभारंभ किया। उन्होंने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना की लॉन्चिंग पर आशीष देने भोपाल पधारीं अपनी लाडली बहनों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत तथा अभिनंदन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना हमारी बहनों के सशक्तिकरण की योजना है। इस योजना का लाभ मेरी उन सभी बहनों को मिलेगा, जिनके परिवार की वार्षिक आमदनी ढाई लाख से कम और 5 एकड़ से कम जमीन हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाड़ली बहना योजना के आवेदन के फार्म मार्च एवं अप्रैल में भरे जायेंगे और मई में आवेदनों के जांच का काम पूर्ण होगा। जून माह की 10 तारीख से बहनों के खाते में योजना के पैसे आने लगेंगे। लाड़ली बहना योजना के लिए बहनों को कहीं भागदौड़ करने की जरूरत नहीं है, उनके क्षेत्र में ही शिविर आयोजित होंगे, इसकी जानकारी दी जाएगी। आवेदन के लिए भी ज्यादा कागजात की जरूरत नहीं है। श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार किसान सम्मान निधि के 6 हजार रुपए भेजती हैं, वहीं राज्य सरकार 4 हजार रुपए देता है। अब परिवार की बहू और सास को भी मिलेंगे साल के 12-12 हजार रुपए। बहनों की समृद्धि से घर खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि मेरी बहनें आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर हों, ये उनके ह्रदय की तड़प थी, इसलिए उन्होंने लाड़ली बहना योजना बनायी। अब बहनों को परेशान नहीं होना होगा। जो देश में कभी नहीं हुआ, वो आपके भाई ‘शिवराज’ ने किया। उन्होंने कहा कि मैंने कन्या विवाह योजना की शुरुआत की, जिससे गरीब परिवारों के लिए बेटियां चिंता का विषय न हों, बल्कि खुशी का विषय हों। इसके बाद उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की, जिससे बेटियों को पढ़ने और बढ़ने का अवसर मिले। हमारे देश में सदैव से नारियों के प्रति आदर करने की परंपरा रही है। लक्ष्मीनारायण, राधेश्याम, सीताराम में भी पहले देवी माता का नाम लेने की परंपरा रही है। अंग्रेजों के शासन में धीरे धीरे यह आदर कम हो गया था। हमारी संस्कृति में ही देवता के पहले देवी का नाम लेने की मान्यता रही है, लेकिन कालांतर में यह बदलाव आया और बेटी से ज्यादा महत्व बेटों को दिया जाने लगा। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा होती कि कैसे बदलाव लाया जाए।...////...
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