मनरेगा दे रही ग्रामीणों को जीवन निर्वाह का सम्बल
18-Jun-2022 02:50 PM 1234669
जोधपुर 18 जून (AGENCY) राजस्थान के मारवाड अंचल में मरुभूमि में जल समस्या से निपटने और दीर्घकालीन जल उपलब्धता को सुनिश्चित करने की दिशा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्य जल भण्डारों की बुनियाद को मजबूती देने के लिए बेहतर साबित हो रहे है। जोधपुर जिले में मनरेगा में एक और जहाँ परम्परागत जलाशयों के उद्धार एवं विकास का कार्य मूर्त रूप ले रहा है वहीं दूसरी और ग्रामीण अंचलों में पहाड़ी एवं ढलानी क्षेत्रों में बरसाती जलप्रवाह मार्गों तथा जल संचयन स्थलों पर अवस्थित नाड़ियों को गहरा करने, पाल सुदृढ़ करने जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है। जोधपुर जिले में मनरेगा के अन्तर्गत कई नाड़ियों का काम हाथ में लिया गया है। इन्हीं में एक है - बेगी नाड़ी। मण्डोर पंचायत समिति अन्तर्गत सालोड़ी ग्राम पंचायत की इस नाड़ी को गहरा करने तथा पाल की ऊँचाई बढ़ाते हुए इसे सुदृढ़ स्वरूप प्रदान करने के लिए शताधिक श्रमिकों का कारवा जुटा हुआ है। इस कार्य में नब्बे फीसदी ग्रामीण महिलाएं कार्यरत हैं जिनमें अधिकतर के लिए महानरेगा योजना जिन्दगी बसर करने के लिए बहुत बड़ा सहारा सिद्ध हो रही है। बेगी नाड़ी आस-पास के कई गांवों व ढाणियों के लोगों और मवेशियों के लिए परंपरागत जल स्रोत रही है लेकिन पर्याप्त बारिश के वर्षों में इसका पानी बमुश्किल छह-सात माह तक ही बना रहता है, इस कारण काफी समस्याओं से रूबरू होना पड़ता रहा है। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए बेगी नाड़ी को गहरा करने की जरूरत को देखते हुए महात्मा गांधी नरेगा योजना में यह कार्य इसी वर्ष अप्रेल से हाथ में लिया गया। जल संरक्षण के इस कार्य में नाड़ी की खुदाई हो रही है तथा इससे निकलने वाली मिट्टी से पाल को ऊँचा एवं मजबूत किया जा रहा है। आर्थिक तंगी के हालातों में जी रहे लोगों के लिए सरकार द्वारा दिया जा रहा रोजगार उनके लिए जीवन निर्वाह का सम्बल साबित हो रहा है। ग्रामीण पुरुषों और महिलाओं के लिए काम-धंधों की कमी तथा बरसात की कमी की वजह से खेती-बाड़ी बेअसर होने की स्थिति में गांव में अथवा गांव से दूर जाकर मेहनत मजदूरी के सिवा और कोई चारा नहीं था। ऎसे में महानरेगा इनके लिए वरदान बनकर आयी। इस काम में लगे ग्रामीणों में अधिकांश ऎसे हैं जिनके घरों में परिवार तो बड़ा है लेकिन कमाने वाला कोई नहीं है। भरी जवानी में विधवा हो चुकी महिलाएं और बुजुर्ग भी हैं तो कुछ परिवारों में विकलांग भी। सालोड़ी ग्राम पंचायत की ग्राम विकास अधिकारी निर्मला चौहान के अनुसार मनरेगा में बेगी नाड़ी के इस काम को पहले पहल 2019-20 में स्वीकृत कर इसे गहरा कराने का काम आरंभ किया गया। इस पर 14 हजार मानव दिवसों का सृजन कर 12 लाख 93 हजार 672 रुपए की धनराशि व्यय कर खुदाई कार्य कराया गया। इसमें 12.29 लाख रुपए श्रम मद तथा 64 हजार 672 रुपए सामग्री मद में व्यय हुए। चालु वित्तीय वर्ष में इसे और अधिक गहरा कर जल संधारण क्षमता में अभिवृद्धि के लिए 14.91 लाख की धनराशि स्वीकृत हुई है इसमें से अब तक 9.15 लाख रुपए की राशि व्यय हो चुकी है, जिसमें से 9.11 लाख रुपए श्रम मद तथा 40 हजार रुपए सामग्री मद में खर्च हुए हैं। क्षेत्र भर के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होने वाला यह कार्य निरन्तर जारी होकर प्रगति पर है।...////...
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