उच्च न्यायालय ने सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने के राज्य सरकार के आदेश को किया रद्द
10-Nov-2022 07:56 PM 1234650
जयपुर 10 नवंबर (संवाददाता) राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा जारी जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने आज यह आदेश दिए। न्यायालय ने राज्य सरकार के गत 27 सितंबर को जारी श्रीमती गुर्जर को महापौर पद से हटाये जाने के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका देकर नए सिरे से आदेश जारी करने के आदेश दिए है। उल्लेखनीय है कि श्रीमती गुर्जर ने महापौर पद से हटाये जाने के बाद इसे न्यायालय में चुनौती दी थी। उन्होंने महापौर के पद पर हो रहे उपचुनाव को लेकर भी चुनौती दी थी। उनके अधिवक्ता एम एस सहारन के अनुसार इस मामले की सुनवाई में आज न्यायालय ने उनकी दलीले सुनी और उन पर सहमति जताते हुए यह आदेश जारी किए। इसके बाद श्रीमती गुर्जर के वकील श्री सहारन निर्वाचन विभाग से उपचुनाव की प्रक्रिया को रोकने का निवेदन किया और इसके बाद निर्वाचन विभाग ने उपचुनाव के मतदान के बाद आगे की प्रक्रिया को रोक देने के आदेश जारी किए। निर्वाचन विभाग के आदेश के बाद उपचुनाव के मतदान के बाद शुरु हुई मतगणना को रोक दिया गया और मतदान को लिफाफों में सील कर दिया गया। गौरतलब है कि दो वर्ष पहले सौम्या गुर्जर जयपुर नगर निगम ग्रेटर की पहली महापौर चुनी गई थी और गत वर्ष चार जून को निगम कार्यालय में तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ श्रीमती गुर्जर और अन्य पार्षदों में विवाद का मामला सामने आने के बाद इसके अगले दिन पांच जून को सरकार ने मामले में सौम्या एवं तीन पार्षदों के खिलाफ शिकायत की जांच स्वायत शासन निदेशालय को दी थी। इसके बाद छह जून को इस मामले में इन चारों को दोषी मानते निलंबित कर न्यायिक जांच शुरु कर दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने सात जून को पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बना दिया, जिसे श्रीमती गुर्जर ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन 28 जून को न्यायालय ने इस मामले में रोक लगाने से मना कर दिया। इसके बाद श्रीमती गुर्जर उच्चत्तम न्यायालय की शरण में गई और एक फरवरी को उच्चत्तम न्यायालय ने उनके निलंबन आदेश पर स्टे कर दिया और श्रीमती गुर्जर दो फरवरी को फिर उपमहापौर का पद संभाल लिया था। इसके पश्चात 11 अगस्त को सौम्या गुर्जर एवं तीन पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट में इन चारों दोषी माना और 22 अगस्त को पार्षद अजय सिंह, पारस जैन और शंकर शर्मा को पद से हटा दिया गया था और इसके अगले दिन सरकार ने उच्च्त्तम न्यायालय में याचिका दायर कर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश करते हुए मामले में जल्द सुनवाई की मांग की जिस पर 23 सितंबर को उच्चत्तम न्यायालय ने सरकार को कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने 27 सितंबर को श्रीमती गुर्जर को महापौर पद से बर्खास्त कर शील धाभाई को फिर कार्यवाहक महापौर बना दिया था।...////...
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