वॉयलिन एवं तबला की जुगलबन्दी और शास्त्रीय गायन पर फिदा हुए दर्शक
17-Mar-2023 11:17 PM 1234643
उदयपुर 17 मार्च (संवाददाता) राजस्थान के उदयपुर में आयोजित किये जा रहे 60 वें महारणा कुंभा संगीत समारोह के चौथे दिन की प्रथम प्रस्तुति के रूप में आज दिल्ली से आयेे भागलपुर मिश्रा घराने के विख्यात वॉयलिन वादक पंडित (डॉ.) संतोष नाहर के वॉयलिन वादन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। लोक कला मंडल में आयोजित कार्यक्रम की पहली कड़ी में डॉ नाहर ने सुमधुर दक्षिण भारतीय राग चारूकेशी से अपने कार्यक्रम का आगाज किया। पंचतंत्री वॉयलिन पर डॉ. नाहर ने राग चारूकेशी में आलाप के बाद मध्य लय और द्रुत गत की तीन ताल में प्रस्तुति दी। जिसमें डॉ नाहर ने क्रमानुसार राग की बढ़त ,मधुरता के साथ राग, स्वर विस्तार, आलंकारिक ताने, ग़मक की प्रस्तुति के साथ साथ द्रुत गत में सपाट तान,झाला में तबला के साथ सवाल जवाब की जुगलबंदी को दर्शकों ने काफी सराहा, उनके वादन में तंत्र अंग के साथ गायकी अंग वादन सुनने को मिला। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में मोहम्मद अमान ने अपना गायन राग बागेश्री में विलंबित खयाल से शुरू किया। जिसके बोल ऐ बमना देहो बता कब घर आयेंगे पीतम प्यारें.....,दूसरी बंदिश झपताल में पेश की जिसके बोल थे काहे करत मोसे हो.....द्रुत एकताल में अपनी गरज पकड़ लीनी बइयाँ मोरी सुनाया... तो श्रोता सुनते ही रह गये। अंत में ठुमरी और उनके प्रसिद्ध गीत, गरज गरज आज मेघ से कार्यक्रम का समापन किया। उनकी गायकी में सुर की सच्चाई और गले की गजब की तैयारी सुनाई दी। विश्व शांति एवं भारतीय संगीत पर पूर्व में सुविवि के संगीत विभाग द्वारा आयोजित की गई एक सेमिनार में राष्ट्रीय स्तर के 25 पत्रों का वाचन हुआ। उन्हें एक पुस्तक में समायोजन किया गया। जिसका संपादन डॉ. पामिल मोदी ने किया। उस पुस्तक का आज द्वारा अतिथियों के हाथों समारोह में विमोचन किया गया।...////...
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